नॉर्थ सेंटिनल द्वीप पे जाना या जाने की कोशिश करना इतना खतरनाक क्यु है।


◆ नॉर्थ सेंटिनल द्वीप बंगाल की खाड़ी में स्थित अंडमान निकोबार की केपिटल पोर्ट ब्लेयर से 50 km की दुरी पर है।अवैध रूप से उत्तरी सेंटिनल द्वीप का दौरा करने वाले एक अमेरिकी पर्यटक की मौत ने दुनिया का ध्यान छोटे द्वीप के पुनर्निवासी निवासियों की ओर खींचा।

◆ ये द्वीप एक ऐसे कबीले का घर है, जो  हजारो साल से यहां रह रहा है । कबीले का बाकी दुनिया से कोई संपर्क नहीं है । कबीले के लोग आदिवासियों सा जीवन जीते हैं ये न तो खुद बाहर जाते हैं और न किसी बाहरी को यहां आने देते हैं, कोई बाहरी लोग यहां कदम रखे या इनके जीवन में दखल दे तो ये मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। इनकी हिफाजत के लिए सरकारी नियम-कानून हैं ।

◆ इनकी रोगप्रतिकारक शक्ति कमजोर  होती है इसलिए वो बाकी आबादी के वायरस के आसानी से शिकार हो जाते है।



★कोई बाहरी आदमी इस द्वीप पर नहीं जा सकता ,ये सब जानते हुए भी अमेरिका का एक 27 साल का आदमी   यहां पहुंच गया,  इसका नाम था- जॉन ऐलन चाऊ ,वो  द्वीप में दाखिल तो हो गया मगर वापस नहीं लौटा। वो ख्रिस्ती धर्मप्रचारक था ,वो  शायद कबीले के लोगो में ख्रिस्ती धर्म का प्रचार करना चाहता था इसलिए वो उसके साथ बाइबल की पुस्तक भी ले गया था। अब उसकी लाश इसी द्वीप पर रेत में कहीं दफन है,और शायद कभी वापस भी न लाई जा सके ।



★जॉन ने कुछ लोकल मछुआरों को पैसे दिए, उनसे कहा कि वो किसी तरह उसे नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड पहुंचा दें। वहा पहुचंने पर सेन्टलीज लोगो ने उस पर तीर से हमला किया लेकिन जॉन वापस नहीं गया ये सब उसने मछुआरों को दी एक चिट्ठी में लिखा था।
मछुआरों के मुताबिक, 17 नवंबर की सुबह उन्होंने देखा कि कबीले के  कुुुछ लोग लाश को दफना  रहे हैं, कपड़े  देखकर ऐसा लग रहा था कि जिसे दफनाया जा रहा है, वो जॉन ही है, माना जा रहा है कि कबीलेवालों ने तीर मारकर जॉन की जान ली है । 

◆मछुआरों ने ये सब घटना अंडमान में जॉन चाउ के दोस्त को बतायी। बाद में पुलिस ने 7 मछुआरों को हिरासत में लिया था ।


◆  वे दुनिया के कुछ संपर्क विहीन  समूहों में से एक हैं, और वे बाकी दुनिया से अलग रहना पसंद करते है।
लेकिन वे पूरी तरह से संपर्क विहीन नहीं हैं; पिछले 200 वर्षों में, बाहरी लोगों ने कई बार द्वीप का दौरा किया है, और यह अक्सर दोनों पक्षों के लिए बुरे परिणाम देखे गए। 

◆ अभी तक उनकी भाषा को कोई जान नही पाया है।1967 में एक प्रवासी के गांव के एक दौरे के आधार पर वे झुकी हुई छतों के साथ झोपड़ियों में रहते हैं। ।

◆ वे शिकारी हैं, वे  शायद  फल और कंदों  जो द्वीप पर जंगल में उगते हैं, सीगुल(सामुद्रिक चिड़िया) या कछुओं के अंडे और जंगली सुअर या पक्षियों पे अपना जीवन गुजारा करते है। वे धनुष और तीर, साथ ही भाले और चाकू  रखते है।